Tuesday 23 June 2015

गंगोत्री ग्लेशियर

गंगोत्री ग्लेशियर, भारत के उत्तराखंड राज्य के उत्तरकाशी जिले में है. इस ग्लेशियर से गंगा नदी का उदगम हुआ है. गंगोत्री ग्लेशियर 30 किलोमीटर लम्बा और करीब 2 से 4 किलोमीटर चौड़ा है. गंगोत्री ग्लेशियर जहाँ पर समाप्त होता है वहां पर गाय के मुख जैसी आकृति बनती है इसलिए इस स्थान को गौमुख कहा जाता है. गौमुख, गंगोत्री कस्बे से 19 किलोमीटर दूर है.यही गौमुख भागीरथी नदी का स्रोत स्थल है.यही से भागीरथी नदी पहाड़ों से नीचे आकर देवप्रयाग में गंगा नदी का स्वरुप धारण करती है यहीं देवप्रयाग में उत्तराखंण्ड के पूर्व में स्थित पहाड़ों  और ग्लेशियर से आने वाली अन्य नदियां गंगा में आकर मिलती हैं.जहाँ जहाँ यह नदियां अन्य नदियों से मिलती हैं वे सब जगह प्रयाग कहलाती है और यह सब  स्थान मिलकर पंचप्रयाग कहलातें है.

               गंगोत्री  ग्लेशियर् बहुत से सारे ग्लेशियर का एक समूह है. इसमें मुख्यतया तीन ग्लेशियर रक्तवर्ण, चतुरंगी और कीर्ति है. रक्तवर्ण ग्लेशियर 7, चतुरंगी 8 और कीर्ति 3 ग्लेशियर्स से मिलकर बना  है. एक अध्ययन के अनुसार गंगोत्री ग्लेशियर तेजी से पिघल रहा है. पिछले 25 वर्षों में इसकी लम्बाई लगभग 850 मीटर तक कम हो गयी है. यह सभी भू वैज्ञानिकों और प्रकृति प्रेमियों के लिए चिंता का विषय है. 12 जून 2013 को केदारनाथ घाटी में आया प्रलयंकारी विनाश जिसने हजारो लोगो की जान ले ली, इसी ग्लेशियर के पिघलने का नतीजा माना जा रहा है.

              गंगोत्री ग्लेशियर जाने और प्रकृति का भरपूर आनंद लेने के लिए यहाँ जाने का सबसे उपयुक्त समय अप्रैल के मध्य से लेकर जून माह के प्रारम्भ में और सितम्बर से नवंबर तक है. मानसून अवधि में यहाँ  बहुत भारी वर्षा होती है जिसके कारण भूस्खलन का खतरा बना रहता है. शीतकाल में यहाँ शरीर जमा देने वाली सर्दी होती है. इसलिए यह दोनों समय यहाँ आने के लिए उपयुक्त नहीं होते हैं.

             गंगोत्री ग्लेशियर तक आने  आपको गंगोत्री मंदिर से पैदल यात्रा करनी होगी. गंगोत्री मंदिर तक सड़क मार्ग से आया जा सकता है. गंगोत्री मंदिर के लिए देहरादून, हरिद्वार, ऋषिकेश से बस टैक्सी इत्यादि उपलब्ध रहती है. आप अपने वाहन द्वारा भी गंगोत्री मंदिर तक आ सकते हैं. गंगोत्री मंदिर के निकटस्थ हवाई अड्डा जौली ग्रांट में है. जहाँ से गंगोत्री मंदिर की दूरी लगभग 257 किलोमीटर है. जौली ग्रांट के लिए नयी दिल्ली से नियमित उड़ान सेवा उपलब्ध है. गंगोत्री मंदिर आने के लिए निकटतम रेलवे स्टेशन ऋषिकेश है जहाँ से गंगोत्री मंदिर की दूरी 243 किलोमीटर है. सड़क मुख्यतया निम्नलिखित है.
1.हरिद्वार-ऋषिकेश-नरेंद्रनगर-चंबा-नई टेहरी-चिन्यालीसौड़-उत्तरकाशी-हरसिल-गंगोत्री(287किमी)
2.देहरादून-मसूरी-यमुना पुल- डामटा-बरकोट-चिन्यालीसौड़-उत्तरकाशी-हरसिल-गंगोत्री(283किमी)
3.यमुनोत्री-जानकीचट्टी-हनुमानचट्टी-बरकोट-चिन्यालीसौड़-उत्तरकाशी-हरसिल-गंगोत्री

गंगोत्री 
            गंगोत्री से गौमुख की दूरी लगभग 18 किमी है जो पैदल ही तय करनी होती है. गंगोत्री के आगे कोई भी बसावट नहीं है इसलिए किसी प्रकार का सामान नहीं मिलता है इसलिए आवश्यक चीजों की खरीदारी जैसे खाने का सामान, टेंट (यदि रात में रुकना हो ) गंगोत्री में ही कर लेनी चाहिए. गंगोत्री समुद्र तल से 3000 मीटर की ऊंचाई पर है और गंगोत्री से गौमुख की 18 किमी की यात्रा में 3000 मीटर से 3900 मीटर तक चढ़ना होता है. गौमुख यात्रा में आपको गंगोत्री राष्ट्रीय पार्क से गुजरना होता है जिसके लिए परमिट की जरुरत होती है. यह परमिट उत्तरकाशी में वन विभाग के कार्यालय से प्राप्त किये जा सकते हैं. गंगोत्री से दो किमी आगे कनखू नामक जगह पर इन परमिट की जाँच की जाती है,और सामान को भी चेक किया जाता है प्लास्टिक के सामान की गिनती भी होती है. जितना प्लास्टिक सामान आप ऊपर लेके जायेंगे उतना ही सामान आपको वापस लाना भी होगा, आशय यह है कि आप प्लास्टिक ऊपर छोड़ कर नहीं आ सकते हैं.कनखू से 7 किमी आगे चीड़वासा है यहाँ से चीड़ के पेड़ों की शुरुआत हो जाती है. यह इलाका चीड़ के घने पेड़ों से घिरा हुआ है. यहाँ पर भी परमिट चेक किये जाते हैं. चीड़वासा समुद्र तल से 3500 मीटर की ऊंचाई पर है. चीड़वासा से 5 किमी आगे भोजवासा है. चीड़वासा से भोजवासा के बीच मिटटी के पहाड़ है जो खिसकते रहते हैं. इसलिए यह रास्ता पार करना सबसे खतरनाक रहता है. भोजवासा में ही यात्री टेंट लगा कर रात्रि विश्राम करते हैं. यहाँ पर गढ़वाल मंडल विकास निगम का रेस्ट हाउस भी है. जो यात्री खच्चर से आतें है उन्हें भी यहीं विश्राम कर आगे की 4 किमी की यात्रा पैदल ही करनी होती है. मंडल विकास निगम के विश्राम गृह में खाना, नाश्ता मिल जाता है.
                   


      भोजवासा से आगे बढ़ने पर गौमुख ग्लेशियर दिखने लगता है. लगभग 2 किमी चलने के बाद गौमुख का सही नजारा होता है जहाँ से भागीरथी नदी निकलती है. मुख से भागीरथी नदी का पानी निकलता दिखाई देता है और मुख के ऊपर कई किलोमीटर तक ग्लेशियर फैला हुआ है. ग्लेशियर के दायीं ओर गौमुख से 6 किमी दूर नंदनवन है और बायीं ओर तपोवन है. साहसी यात्री यहाँ की भी यात्रा करते हैं. कुछ  दूर और जाने पर आप जीरो पॉइंट पर पहुँच जायेंगे यहाँ पर एक पत्थर पर गौमुख 0 किलोमीटर लिखा है. यही गंगोत्री ग्लेशियर का जीरो पॉइंट है. ग्लेशियर पहले कभी यहीं तक हुआ करता था परन्तु अब यह लगभग 800 मीटर पीछे खिसक गया है. यहाँ पर कुछ समय बिताकर आप अपनी लौटने की यात्रा शुरू कर सकते हैं.