Monday 6 June 2016

पोर्टब्लेयर - बंदरगाह से सेलुलर जेल.

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यधपि पांच घंटे की हवाई यात्रा थकाऊ थी परन्तु जैसे ही हमारा विमान द्वीप समूह के ऊपर से उड़ता हुआ नीचे आने लगा नीचे का दृश्य देखकर सारी थकान फुर्र हो गयी. बंगाल की खाड़ी में दूर दूर तक फैले हुए छोटे छोटे द्वीप ऐसे लग रहे थे मानो मोतियों की माला  टूटकर बिखर गयी हो. एयरपोर्ट पर हमारे टूर परिचालक ने हमारा स्वागत किया और हमें होटल तक पहुंचाने की व्यवस्था की, जो एयरपोर्ट से मात्र 2 किमी की दूरी पर था. इन द्वीप समूहों की जलवायु उष्ण और नम है. फिर भी फरबरी का दिन होने के कारण मौसम ठीक था. यहाँ फरबरी और मार्च के महीनों में सबसे कम वर्षा होती है.
1788 में ईस्ट इंडिया कंपनी ने रायल नेवी के कप्तान आर्चीबाल्ड ब्लेयर को इस द्वीप समूह के विभिन्न स्थानों पर समुद्र की गहराई नापने के काम के लिए भेजा ताकि कंपनी यहाँ पर एक सुरक्षित बंदरगाह की स्थापना कर सके. आज जहाँ पोर्टब्लेयर है वहां पर उसने अपना लंगर डाला था. शुरू में इस बंदरगाह का नाम 'पोर्ट कार्नवेलिस" रखा था. कप्तान ब्लेयर ने इस जगह को विकसित करने के लिए बहुत मेहनत की थी. कप्तान ब्लेयर की इस महान सेवा के लिए इस बंदरगाह का नाम बदलकर पोर्ट ब्लेयर कर दिया इस प्रकार इस जगह का नाम पोर्ट ब्लेयर पड़ा. इस पोर्ट का धीरे धीरे विकास हुआ और यहाँ पर भारत के स्वतंत्रता संग्राम में लड़ने वाले राजनैतिक कैदियों को रखने के लिए सेलुलर जेल का निर्माण किया गया और इस प्रकार कालांतर में यह बंदरगाह सेलुलर जेल की भूमि में तब्दील हो गया.
पोर्ट ब्लेयर में आज हमारा कार्यक्रम सेलुलर जेल का लाइट एंड साउंड शो देखना और कार्बिन कौव बीच भ्रमण करने का था. साउंड शो सायंकाल को था इसलिए पहले हमने कार्बिन कौव जाने का निश्चय किया. होटल से करीब 20 मिनट में हम यहाँ पहुँच गए. ये बीच पोर्ट ब्लेयर से 8  किमी दूर है. कारबीन कौव बीच समुद्र स्नान के लिए एक उपयुक्त स्थान है. यहां अवकाश के दिनों में बड़ी भीड़ रहती है. वाटर स्पोर्ट्स भी यहाँ होते है. ये एक अर्द्धचन्द्राकार समुद्री बालू तट पर है. यहाँ नारियल और पाम के बहुत सारे वृक्ष है. जो वातावरण को और रोचक बनातें हैं. 1945 में अंडमान द्वीप पर जापान का कब्ज़ा था जापानियों ने अपनी सुरक्षा  के लिए यहाँ पर छोटे कंक्रीट के किले और बंकर बनाए थे, जो बहुत ही मजबूत तथा जापानी इंजीनियर की कार्यकुशलता के प्रतीक हैं.

इस बीच पर लगभग एक घंटा बिताने के बाद हमने सेलुलर जेल के लिए प्रस्थान किया, क्योंकि वहां होने वाले साउंड शो का समय होने वाला था. इस शो को देखने की हम सबको बड़ी उत्सुकता से प्रतीक्षा थी.


प्रीतिदिन दो शो एक हिंदी भाषा और एक अंग्रेजी भाषा में होता है. इसका समय बदलता रहता है, और इसका आयोजन मौसम पर भी बहुत निर्भर करता है. इस शो का शुल्क 50 रुपए प्रति व्यक्ति है. इस शो अंडमान द्वीप का इतिहास, सेलूलर जेल बनने की कहानी और यहाँ पर रहे कैदियों, स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में बताया जाता है. शो लगभग एक घंटे का होता है. हमने भी इस शो के माध्यम से यहाँ का इतिहास जाना जिसके बारे में विस्तृत जानकारी अगली पोस्ट में.

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