Sunday 17 May 2020

तुंगनाथ मंदिर



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तुंगनाथ मंदिर, पंचकेदार मंदिर समूह का तीसरा मंदिर है.यह इस समूह का सबसे अधिक ऊंचाई पर स्थित मंदिर है.समूचे विश्व में भगवान शिव के जितने भी मंदिर हैं उनमे यह मंदिर सबसे अधिक ऊंचाई पर स्थित है. इस मंदिर को भी पांडवों ने बनाया था. पांडवों को भगवान् शिव ने इस स्थान पर भुजाओं के रूप में दर्शन दिए थे.

तुंगनाथ मंदिर,उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में चोपटा नामक गाँव के पास 3680 मीटर (12073 फ़ीट) की ऊंचाई पर स्थित है. तुंगनाथ का मौसम पूरे साल ठंडा रहता है. गर्मी के महीने में औसतन तापमान 16 डिग्री सेल्सियस रहता है जबकि शीत ऋतु बहुत ही ठंडी होती है शीत ऋतु में तापमान शून्य डिग्री से भी नीचे गिर जाता है. यहाँ आने का सबसे अच्छा समय अप्रैल से अक्टूबर तक होता है. सर्दी के मौसम में भारी बर्फ़बारी के कारण यहाँ आने के रास्ते बंद हो जाते हैं इसके फलस्वरूप तुंगनाथ मंदिर भी सर्दियों में 6 महीने तक बंद कर दिया जाता है. सर्दियों में शिवजी की पूजा मक्कूमठ मंदिर में की जाती है.  

सभी पंचकेदार मंदिरों के पैदल रास्ते की तुलना में तुंगनाथ मंदिर का पैदल रास्ता सबसे छोटा है. उखीमठ - गोपेश्वर मार्ग पर आने वाले चोपटा गाँव से तुंगनाथ की दूरी 3.5 किमी है. चोपटा से तुंगनाथ मंदिर का कच्चा रास्ता लगभग 4-5 घण्टे में पूरा किया जा सकता है. चोपटा गाँव समुद्र तल से 2700 मीटर की ऊंचाई पर बसा है, जबकि तुंगनाथ मंदिर 3680 मीटर की ऊंचाई पर है. इसी से अनुमान लगाया जा सकता है कि रास्ता छोटा होने के बावज़ूद तुंगनाथ पहुँचने के लिए पहाड़ की ख़ड़ी और कठिन चढाई चढ़नी होगी. चोपटा सड़क मार्ग से जुड़ा है. यहाँ तक आप अपने वाहन या टैक्सी/कैब से आ सकते हैं. चोपटा के लिए कोई सीधी सार्वजनिक परिवहन सेवा उपलब्ध नहीं है. यदिआप सार्वजनिक बस सेवा का उपयोग करना चाहते हैं तो ऋषिकेश से उखीमठ, गुप्तकाशी या गोपेश्वर तक बस से आ सकते हैं. इस स्थानों से चोपटा के लिए आसानी से टैक्सी/ कैब मिल जाती है. ऋषिकेश से उखीमठ 182 किमी और गुप्तकाशी 184 किमी  दूरी पर हैं. जबकि चोपटा गुप्तकाशी से 47 और उखीमठ 45 किमी दूर हैं. 

यदि आप गर्मी की ऋतु में चोपटा से तुंगनाथ जाते हैं तो रास्ते में आपको जगह जगह बुरांश के फूल दिखाई देंगे जिनकी खूबसूरती देखकर आप मंत्रमुग्ध हो जायेंगें. इसके अलावा हरे भरे घास के मैदान और ओक के पेड़ आपकी यात्रा को अविस्मरणीय बना देंगें. मोनल और बहुत से अन्य पक्षियों को भी आप तुंगनाथ के पास देख सकते हैं. यदि आप भाग्यशाली हों तो हो सकता है  कि आपको कस्तूरी हिरन भी देखने को मिल जाये. सर्दियों के मौसम में भी ट्रेकर यहाँ तुंगनाथ तक ट्रैकिंग के लिए आते हैं. परन्तु, सर्दी के मौसम में पूरे रास्ते में बर्फ बिछी रहती है इसलिए सर्दी के मौसम में बिना किसी अनुभवी गाईड के साथ आना आपको खतरे में डाल सकता है. 

चंद्रशिला 
तुंगनाथ मंदिर से 1500 मीटर की दूरी पर चंद्रशिला है जो 4200 मीटर की ऊंचाई पर है. यहाँ पर आप डेढ़ से दो घंटे में पहुँच सकते हैं. चंद्रशिला से आप त्रिशूल, नंदादेवी, चौखम्बा पर्वत की हिमाच्छादित चोटियां को देख सकते हैं. कहा जाता है कि इसी स्थान पर रावण के वध के बाद लक्ष्मण ने उपासना की थी. चंद्रशिला पर कोई भी ऐसी जगह नहीं है, जहाँ रूककर आप थोड़ी देर विश्राम कर सकें. चंद्रशिला पर बहुत तेज ठंडी हवाएं चलती रहती है जिसके कारण यहाँ ज्यादा देर ठहरना मुश्किल होता है. इसलिए यात्री कुछ समय ही यहाँ बिताकर वापस नीचे लौट जाते हैं.

चूँकि, तुंगनाथ तक आने और चोपटा वापस जाने के लिए एक दिन ही पर्याप्त होता है इसलिए तुंगनाथ में रूकने के लिए ज्यादा व्यवस्थाएं नहीं है. फिर भी यात्रियों के रूकने के लिए धर्मशाला है जहाँ सीमित सुविधाएँ हैं. यह धर्मशाला स्थानीय पुजारियों द्वारा संचालित की जाती हैं. इसी प्रकार तुंगनाथ में खाने पीने की सीमित सुविधा जैसे चाय, मैगी, रोटी और सब्जी ही उपलब्ध हैं. 

तुंगनाथ में तुंगनाथ मंदिर, चंद्रशिला के अलावा आप अपना समय आस पास के अन्य खूबसूरत जगहों पर बिता सकते हैं. जिनमे कांचुला खरक,कस्तूरी हिरनअभ्यारण्य,रोहिणी बुग्याल और देवरिया ताल प्रमुख हैं. तुंगनाथ मंदिर का आधार कैंप गाँव चोपटा रुद्रप्रयाग का एक बहुत छोटा सा गाँव है परन्तु यह एक अत्यंत खूबसूरत दर्शनीय स्थान हैं. यहाँ पर रूकने के लिए होटल/अतिथि गृह हैं जो बेसिक सुविधाएँ  ही प्रदान करतें हैं. यदि आप प्रकृति प्रेमी हैं तो यहाँ एक दिन जरूर प्रवास करें. इस स्थान को उत्तराखंड का चेरापूंजी भी कहा जाता है. चोपता गाँव एक ऊँचे से स्थान पर बसा गाँव है जहाँ खड़े होकर आप नीचे की ओर खूबसूरत पहाड़ों के बीच की घाटियों का विहंगंम दृश्य देख सकते हैं  जिसे देखकर आप रोमांचित हो उठेंगे.  अगला मंदिर- रुद्रनाथ मंदिर 


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