Thursday 21 May 2020

रुद्रनाथ मंदिर

पंचकेदार मंदिरों में से एक रुद्रनाथ मंदिर, उत्तराखंड राज्य के चमोली जिले में स्थित है. रुद्रनाथ मंदिर भगवान् शिव को समर्पित धार्मिक स्थल हैं. समुद्र तल से 3600 मीटर (11810 फ़ीट) की ऊंचाई पर स्थित रुद्रनाथ मंदिर में भगवान् शिव के एकानन, यानि मुख की पूजा होती है. महाभारत के अनुसार, जब पांडव अपने पापों की क्षमा मांगने के लिए भगवान् शिव के दर्शन के लिए पहाड़ों पर घूम रहे थे तब भगवान् शिव ने उन्हें यहाँ मुख के दर्शन दिए थे. इसके पश्चात पांडवों ने इस मंदिर का निर्माण किया था. 

रुद्रनाथ मंदिर के कपाट धार्मिक परम्परा के अनुसार मई के महीने में खुलते हैं. तथा नवंबर के महीने में बंद होते है. सर्दियों के मौसम में रुद्रनाथ मंदिर का रास्ता भयंकर बर्फ़बारी के कारण बंद हो जाता है इसलिए सर्दियों का मौसम प्रारम्भ होने पर भगवान् शिव की प्रतीकात्मक मूर्ति गोपेश्वर नामक स्थान पर लायी जाती हैं, जहाँ पर गोपीनाथ मंदिर में शेष छह माह पूजा की जाती है. रुद्रनाथ मंदिर जाने का सबसे उपयुक्त समय मई, जून, अगस्त से अक्टूबर होता है. यदि आप मानसून के मौसम के बाद यहाँ आते हैं. तो रुद्रनाथ के रास्ते में आने वाली विभिन्न प्रकार के फूलों से भरी वाली वादियां आपका मन मोह लेंगी. जो लोग ट्रैकिंग का शौक रखतें हैं उनके लिए भी यही सबसे अच्छा समय होता है. 

रुद्रनाथ मंदिर की यात्रा गोपेश्वर से शुरू होती है. गोपेश्वर ऋषिकेश से सड़क मार्ग से जुड़ा है. ऋषिकेश से यहाँ की दूरी 212 किमी है. गोपेश्वर के लिए ऋषिकेश से बस/टैक्सी मिल जाती हैं. आप अपने निजी वाहन से भी यहाँ तक आ सकते हैं. गोपेश्वर, चमोली जिले का मुख्यालय है. गोपेश्वर, ऐतिहासिक गोपीनाथ मंदिर के लिए मशहूर है. इस मंदिर में मुख्य आकर्षण का केंद्र बारहवीं शताब्दी में निर्मित पांच मीटर ऊँचा ऐतिहासिक लौह त्रिशूल  है. रुद्रनाथ यात्रा के समय यात्री गोपींनाथ मंदिर और लौह त्रिशूल का दर्शन करना नहीं भूलते. रुद्रनाथ यात्रा के लिए आप पहले दिन ऋषिकेश से गोपेश्वर पहुंचकर वहां रात्रि विश्राम करें ,तो उचित रहेगा.  रुद्रनाथ मंदिर तक पहुँचने के लिए तीन मार्ग हैं जिसको नीचे दिए गए मानचित्र से समझा जा सकता है. 
















रुद्रनाथ जाने के लिए एक मार्ग बद्रीनाथ के रास्ते में पड़ने वाले हेलंग नामक स्थान से शुरू होता है. यही रास्ता एक अन्य पंचकेदार मंदिर, कल्पेश्वर के लिए भी जाता है. हेलंग, ऋषिकेश से बद्रीनाथ जाने वाले रास्ते पर चमोली और जोशीमठ के बीच आता है. हेलंग से उर्गम गाँव तक पक्की सड़क है. जहाँ तक टैक्सी/कैब से जा सकते हैं. उर्गम गाँव से एक रास्ता देवग्राम होता हुआ कल्पेश्वर मंदिर तक जाता है, जबकि दूसरा रास्ता उर्गम से पल्ला, किमाणा, कालगोंट और डुमक होते हुए रुद्रनाथ तक जाता है. उर्गम जहाँ तक पक्की सड़क है वहां से रुद्रनाथ की दूरी लगभग 9 किमी है परन्तु ये रास्ता बहुत दुर्गम हैं. इसलिए इस मार्ग से बहुत कम यात्री जाते हैं.

एक अन्य रास्ता, रुद्रनाथ के लिए, गोपेश्वर से 13 किमी दूर बसे मंडल नाम के गाँव से जाता है. इस मार्ग से रुद्रनाथ की दूरी 19 किमी है. यह मार्ग अनुसूया देवी मंदिर, हंसा बुग्याल और पंचगंगा होता हुआ जाता है. इस मार्ग पर खड़ी चढाई है और घने जंगल वाला रास्ता है इसलिए इस मार्ग से कम यात्री ही रुद्रनाथ जाते हैं. रुद्रनाथ जाने के लिए जो मार्ग सबसे ज्यादा प्रचलित है वह गोपेश्वर से 5 किमी दूर सगर गाँव से प्रारंभ होता है. यहाँ आने के लिए गोपेश्वर से जीप/ टैक्सी मिल जाती हैं. यह गाँव पक्के सड़क मार्ग से जुड़ा है. यहाँ  रूकने के लिए होटल/ धर्मशाला/आश्रम आदि भी उपलब्ध हैं. सगर से रुद्रनाथ की दूरी लगभग 21 किमी है. 

सगर से लगभग 4 किमी आगे पहुँचने पर पहाड़ों की चढ़ाई शुरू होती हैं. मौली खरक के बाद उत्तराखंड के प्रसिद्द बुग्यालों की यात्रा शुरू होती हैं. पुंग बुग्याल, लिटी बुग्याल के बाद पनार बुग्याल आता है. यह बुग्याल मानसून के बाद बहुत ही हरे भरे हो जाते हैं. इस बुग्यालों पर स्थानीय लोगों ने छोटे छोटे रहने के लिए आश्रय स्थल बना लिए हैं, जहाँ पर रुद्रनाथ जाने वाले यात्रियों के रूकने और खाने पीने की सीमित व्यवस्था है. बुग्यालों की चढ़ाई के बाद पितृधार नामक स्थान आता है. यहाँ शिव, पार्वती और नारायण मंदिर हैं. यहाँ पर आपको बहुत से पत्थर रखे मिलेंगे. ये पत्थर यात्री अपने पितरों के नाम पर रखतें हैं. इसलिए इस स्थान का नाम पितृधार पड़ा है. रुद्रनाथ मार्ग में चढाई पितृधार में समाप्त हो जाती है. यहाँ से उतराई शुरू हो जाती है. पितृधार के बाद रास्ते में जगह जगह आपको सुन्दर पुष्प दिखने शुरू हो जायेंगें जिनको देखकर आप प्रफुल्लित हो उठेंगे. पितृधार से लगभग 10-11 किमी की यात्रा करने के बाद आप रुद्रनाथ मंदिर के पास पहुँच जायेंगें. रुद्रनाथ मदिर में शिव की दुर्लभ पाषाण मूर्ति है. कहते हैं कि यह मूर्ति अपने आप ही प्रकट हुई है. अब तक इसकी गहराई का पता नहीं चल पाया है. मंदिर के पास वैतरणी कुंड में शक्ति के रूप में पूजी जानेवाली शेषशायी विष्णु की मूर्ति भी है. मंदिर के एक तरफ पांचों पांडव, कुंती और द्रोपदी के भी मंदिर हैं. मंदिर के पास नारद कुंड है जिसमे यात्री स्नान कर मंदिर में दर्शन के लिए प्रवेश करते हैं. रुद्रनाथ मंदिर के पास की  छटा देखते ही बनती है.  

                    

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